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9. गंदे जल का निपटान
झाग से भरपूर तेल मिश्रित काले भूरे रंग का जल, जो बर्तन धोने की जगह, शौचालय, दुकान, होटल आदि से नालियों में जाता है वह ‘अपशिष्ट जल‘ कहलाता है।
पीनेयोग्य जल को पेयजल कहते हैं।
वर्तमाल समय में लगभग 90 प्रतिशत सतही जल दूषित हो गया है।
विश्व के 40 प्रतिशत लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं है।
22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है।
वाहित मलजल में घूले हुए और निलंबित अपद्रव्यों को संदूषक कहते हैं।
जल के दूषित होने के मुख्य कारण
- घरेलू मलजल
- उद्योगों-कारखानों से निकलने वाला कचरा
- खेतों में उपयोग होने वाला कीटनाशक एवं उर्वरक
दूषित जल से होने वाला हानि
- दूषित जल पीने से पीलिया, पोलियो, डेंगू, हैजा, टायफाइड, पेचिस, मस्तिष्क ज्वर आदि रोग होते हैं।
- शीशायुक्त जल के सेवन से पागलपन, मस्तिष्क तथा किडनी संबंधित बिमारी होती है।
- पारायुक्त जल में रहनेवाली मछली के सेवन से मिनीमाता नामक बिमारी होती है।
- आर्सेनिक-युक्त जल के सेवन से चर्मरोग तथा कैंसर रोग होता है।
अपशिष्ट जल को जलस्त्रोतों में जाने से पहले उसका उपचार करना आवश्यक है ताकि नदियों या अन्य स्त्रोतों को प्रदूषित होने से बचाया जा सके।
किसका उपयोग जल को शुद्ध करने में किया जाता है? क्लोरीन गैस (जल में उपस्थित हानिकारक जीवाणुओं को मारने के लिए)
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