Bihar board class 7th chapter 4 science notes. Jalvayu Aur Anukulan Class 7th Notes, bihar board class 7 science chapter 4 solutions, class 7 science chapter 4 solutions in hindi, Jalvayu Aur Anukulan class 7 notes in hindi. जलवायु और अनुकूलन वर्ग 7 नोट्स objective, Jalvayu Aur Anukulan Class 7th Notes
4. जलवायु और अनुकूलन
समीर— जब हवा की चाल बहुत कम हो तो उसे समीर कहते हैं।
जब हवा समुद्र से स्थल की ओर जाए, तो उसे समुद्री समीर कहते हैं। यह दिन के समय में चलते हैं।
जब हवा की दिशा स्थल से समुद्र की ओर हो तो उसे स्थल समीर कहते हैं। यह रात के समय चलते हैं।
पुरब की ओर से आने वाली पवन को पूर्वा पवन कहते हैं।
पश्चिम से आने वाली पवन को पछुआ पवन कहते हैं।
बंगाल में गर्मी के मौसम में धूल भरी आँधी को काल वैशाखी कहा जाता है।
बिहार में गर्म हवा को लू कहते हैं।
पवन
उच्च दाब क्षेत्र से निम्न दाब क्षेत्र की ओर वायु की गति को ‘पवन’ कहते हैं। बहती हुई हवा को पवन कहते हैं। पवन की गति समीर से अधिक होती है।
गतिशीलवायुपवनकहलातीहै।
जब हवा की गति पवन से अधिक हो तो उसे तुफान कहते हैं।
जब हवाओं की गति तुफान से अधिक हो, तो उसे चक्रवात कहते हैं।
चक्रवात-चक्रवात एक भयानक तूफान होता है जिसकी गति 119 कि०मी० प्रति घंटा से अधिक होती है।
घूमती हुई वायु को चक्रवात कहते हैं।
चक्रवातगहरेरंगकेकीपाकरबादलहोतेहै।
दूनिया का सबसे खतरनाक चक्रवात टॉरनेडो है, जो ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त राज्य अमेरिका के मिसीसिपी इलाकों में में आते हैं।इसकी गति 325 किमी/घंटा होता है।
टाइफून प्रशांत महासागर में उठने वाली तथा चीन सागर में चलने वाली चक्रवात का नाम है।
एक दिन या 24 घंटे में किसी स्थान-विषेय की वायुमंडलीय दशाओं के कुल योग को मौसम कहते हैं। मौसम प्रतिदिन बदलते रहता है।
मौसम के बारे में अध्ययन को मौसमविज्ञान (meterology) कहते हैं।
मौसम की जानकारी हमें मौसम विभाग से प्राप्त होती है।
मौसम में हानेवाले सभी परिवर्तनों का प्रमुख कारक सूर्य है।
वर्षा की माप करने वाले यंत्र को वर्षामापी (rain gauge)कहते हैं।
वायुमंडल की आद्रता (नमी) मापने के लिए आर्द्रतामापी यंत्र (hygrometer) का उपयोग किया जाता है।
पवन की गति मापने वाले यंत्र को पवनवेगमापी (anemometer)कहते हैं।
किसी स्थान के 25 वर्षों के औसत मौसम को जलवायु कहते हैं।
जलवायु का अध्ययन जलवायुविज्ञान (climatology) कहलाता है।
भारत की जलवायु मानसून पर निर्भर करता है। जिसके कारण भारत को मानसून देश कहते हैं।
भारत की जलवायु मानसूनी है।
भारतीय जलवायु को चार ऋतुओं में बाँटा गया है—
1. शीत ऋतु (दिसंबर से फरवरी)
2. ग्रीष्म ऋतु (मार्च से मध्य जून)
3. वर्षा ऋतु (मध्य जून से सितंबर)
4. शरद ऋतु (अक्टूबर से नवंबर)
अनुकूलन— सभी जीव अपने-आप को उस जलवायु के अनुसार ढाल लेते हैं, जहाँ वह स्थायी रूप से निवास करते हैं। जीवों के इस गुण को अनुकूलन कहते हैं।
कुछ जीवों के शरीर का तापमान वातावरण के अनुसार बदलते रहता है। इन जीवों को शीतरक्तीय जीव कहते हैं। जैसे साँप, छिपकली, गिलहरी आदि।
ध्रवीय प्रदेशों में छ: माह का दिन और छ: माह का रात होता है। वहाँ रहने वाले जीव जंतु अपने-आपको जलवायु के अनुरूप ढाल लेते हैं।
ध्रुवीय प्रदेशों में पाये जाने वाले जीव— ध्रुवीय भालू, रेनडियर, मिंक, पैंग्विन आदि।
कुछ पक्षी ठंड के महीनों में अनुकूल वातावरण तथा भोजन की तलाश में कुछ विशेष समय के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाते हैं। इन पक्षियों को प्रवासी पक्षी कहते हैं। प्रवासी पक्षी एक निश्चित समय पर एक स्थान से दूसरे स्थान जाते हैं और फिर वह अपने मूल स्थान पर लौट जाते हैं।
सबसे लंबी दूरी तक प्रवास करने वाली पक्षी आर्कटिक टर्न है। जो 17,000 किलोमीटर दूरी तय करके उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव तक जाता है।
साइबेरियाई क्रेन ठंड के दिनों में साइबेरिया (रूस) से प्रवास करके भारत, ईरान तथा चीन आता है।
बिहार के बेगूसराय के काँवर झील पक्षी विहार में प्रतिवर्ष हजारों प्रवासी पक्षी आते हैं।
जिन जगहों पर अधिक जैव विविधता पाई जाती है उसे हॉट स्पॉट कहते हैं।
अर्थात
जिस स्थान पर कई तरह के पेड़-पौधे तथा जीव-जन्तु पाये जाते हैं उन्हें हॉट स्पॉट कहते हैं।
ऊँट के खुर की निचली सतह चौड़ी तथा गद्देदार होती है। जिससे इसे बालु पर चलने में मदद मिलती है। इसके पीठ पर कुबड़ पाया जाता है। जिसमें वसा जमा रहता है। भोजन नहीं मिलने पर इसका उपयोग ऊर्जा के लिए करता है। एक बार में यह 50 लीटर जल पी लेता है। इसके आँखों के बरौनी (eye lashes) लम्बे तथा घने होत हैं जो बालु के कणों तथा सूर्य के तेज रोशनी से रक्षा करते हैं। यह अपने नाक के छिद्र को बंद कर सकता है जिससे बालू के कण उसके नाक में प्रवेश न कर सके। इसी अनुकूलताओं के कारण ऊँट को मरुस्थल का जहाज कहा जाता है।
Leave a Reply