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10. विद्युत धारा और इसके प्रभाव
विद्युत धारा— जिस पथ से होकर विद्युत धारा का प्रवाह होता है, उसे विद्युत परिपथ कहते हैं। विद्युत परिपथ में बल्ब, स्विच, बैटरी, तार आदि लगे होते हैं।
दो या दो से अधिक सेलों का संयोजन बैटरी कहलाता है।
जब विद्युत धारा किसी पथ से होकर गुजरता है, तो वह गर्म हो जाता है। जिसे विद्युत धारा के ऊष्मीय प्रभाव कहते हैं।
विद्युत बल्ब का जलना विद्युत धारा के ऊष्मीय प्रभाव के घटना के कारण होता है।
विद्युत बल्ब का फिलामेंट टंगस्टन का बना होता है। टंगस्टन से जब विद्युत धारा प्रवाहित किया जाता है तो वह जलकर प्रकाश देने लगता है।
हीटर, इस्त्री, रूम हीटर आदि विद्युत धारा के ऊष्मीय प्रभाव पर काम करता है।
फ्यूज एक सुरक्षा युक्ति है जो विद्युत परिपथ की क्षति तथा शॉर्ट सर्किट के कारण लगने वाली आग से सुरक्षा प्रदान करता है।
विद्युत फ्युज एक तार का टूकड़ा होता है। जो एक सीमा से अधिक विद्युत धारा प्रवाहित होने पर पिघलकर टूट जाता है। जिससे विद्युत धारा का प्रवाह रूक जाता है। जिसके कारण घरों में लगनेवाला उपकरण जैसे टीवी, फ्रीज, वाशिंग मशीन आदि जलने से बच जाता है।
आजकल घरों में फ्यूज के जगह पर विभिन्न क्षमता वाले एम.सी.बी. लगाए जाते हैं जो फ्यूज से अधिक सुरक्षित हैं।
MCB एक तरह का स्विच हैं, जो अपने से होकर प्रवाहित विद्युत-धारा के मान के एक निश्चित सीमा से अधिक हो जाने पर स्वत: ही ऑफ हो जाता है।
CFL का फुल फर्म Compact Fluorescent Lamp होता है। इससे विद्युत की हानि कम होती है।
जब किसी कुण्डली से होकर विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो कुण्डली चुम्बक की भांति व्यवहार करती है जिसे विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव कहते हैं।
विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव का खोज ऑर्स्टेड ने किया था।
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